स्वक्छ भारत : Cleaning Evil

विषय है - "स्वक्छ भारत : Cleaning Evil" 

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इसमे हम आधुनिक कविता के रूप में कुछ सामाजिक बुराइयों की चर्चा करेंगे। 
क्योकि मैं शुद्ध हिंदी में साहित्य नहीं लिखती हूँ, इस कविता को लिखने में मैंने "हिंगलिश" भाषा - हिंदी और अंग्रेजी, दोनों - का प्रयोग किया है। 

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मैं
जब सामाजिक बुराइयों का सोचती हूँ
तो अपने अंदर झांकती हूँ।

जैसा कि कबीर दास जी ने कहा है
कि "बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिल्या कोय।  
जो मन देखा आपना, मुझसे बुरा न कोय।।"

इसीलिए,
मैं जब सामाजिक बुराइयों का सोचती हूँ
तो अपने अंदर झांकती हूँ।


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हमारे Apartment में पिछले हफ्ते
एक Singing Competition
हुआ था
उस आयोजन के दौरान,
हमारे आयोजक ने
ये Lines quote कीं -
"लड़कियां चिड़ियाँ होतीं हैं लेकिन उनके पर नहीं होते"

मैंने सोचा,
पर तो होते हैं लेकिन वे उड़ना नहीं सीखतीं -२
सीखतीं भी हैं
तो उड़ने की हिम्मत नहीं करतीं
और हिम्मत करतीं भी हैं
तो उसे बनाये रखने की ताकत नहीं रखतीं

मैंने सोचा,
ऐसा क्यों होता है

मैंने सोचा,
इस इसलिए होता है
क्योंकि वे बाहरी ताकत की उम्मीद लगतीं हैं -२

जिस दिन वो ये उम्मीद
Expectation of Seeking External Support or Agreement
जिस दिन वो ये उम्मीद लगाना छोड़ देंगी

उस दिन लड़कियां
चिड़िया बन सच में उड़ेंगी -२

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Singing Competition के दौरान
काफी बच्चो ने
"चड्डी पहन के फूल खिला है"
गाना गाया

काम से काम ६-८ बच्चों ने गाया
और इतना अच्छा गाया
कि ये गाना मेरे मन में बस गया

फिर मैंने सोचा
कि उस ज़माने में गुलजार साहब ने
"चड्डी पहन के फूल खिला है"
गाना लिखा था
आज लिखते तो शायद लिखते
कि
"Diaper पहन के फूल एक Download हुआ है"

हमको मालूम है
कि Diaper Environment के लिए
हानिकारक है -२

लेकिन हम उसे use करते हैं
Convenience के नाम पर

हम आज की चिंता करते हैं और
कल को भूल जाते हैं

लेकिन कल
जो कि पता नहीं कैसा होगा -२

उसके लिए
आज की तकलीफ भी तो नहीं झेली जाती

हम सब दूरदर्शिता दिखाते
समय निकालते
सोचने
और समझने के लिए

तो न ऐसा सामन बनाते
जो हमारे आज को
हमारे कल के साथ
नहीं जोड़ता है

और न उसके उपयोग का निर्णय
हमारी,
हम सबकी
Moral Values के ऊपर छोड़ते

फिर चाहे
वो सिगरेट हो, शराब या Diaper ..
हम चेतावनी के साथ
Licence नहीं देते -२

मैंने सोचा
कि हम Evolution को लेकर
इतना Over-Competitive हो गए हैं
कि हमने
Living & Nurturing को
Ignore करना सीख लिया है

जब समस्या
सामने ऑती है तब
Problem Fixing के नाम पर
हम दोबारा
Random Experiments
try करते हैं

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Take Plastic as an Example

Plastic के कारण
हो रहे वातावरण के नुकसान को
Manage करने के लिए
हमने
Garbage Segregation शुरू किया
- कई जगहों पर -
लेकिन
In most of apartments
Convenience के नाम पर
हमने
'Door-to-Door' Collection
भी शुरू किया

और यहाँ पर भी
Risk Management' को हमने
लोगों के
Morals के ऊपर छोड़ रखा है

सिगरेट, शराब और Diaper की तरह
हम यहाँ भी
अपना Procedure or Licence
Continue रखते हैं
और चेतावनी के नाम पर
हम एक Email भेज कर
दुनिया बदलने की उम्मीद करते हैं

लेकिन जैसा कि कबीर दास जी ने कहा है
कि 'बुरा जो देखन ... '

मैं भी जब Social Issues का सोचती हूँ
तो अपना मन, 
अपना घर, 
अपना Common-Area 
से शुरू करके ही 
अपना देश और दुनिया साफ़ करने का सोच पाती हूँ 

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भारत एक 
Developing Country है 
हम कई मामलों में 
सोमालिया और तालिबान जैसे देशों से बहुत बेहतर हैं 
और ये सोच कर मुझे 
बहुत गर्व होता है 

जब Contributions की बात होती है 
तब भी 
भारतीय मूल के लुगों की उब्लब्धियाँ 
मुझे गर्व का अहसास दिलातीं हैं 

लेकिन जब Numbers सोचती हूँ 
तो देखती हूँ 
कि %-wise 
ऐसे लोग 
जो हमें गर्व की अनुभूति कराते हैं
वे बहुत काम हैं 

और इसका कारण है कि हम सोना तो बनाना चाहते हैं
लेकिन आग में तपने के short-cuts ढूंढते हैं 

जिस दिन हम 
हम सब आग में जलना 
और तपना 
सीख लेंगे 

उस दिन फिर से हमारा देश 
सोने की चिड़िया बनेगा 

और यहाँ की लडकियाँ भी 
चिड़िया बन कर आजाद उड़ेंगी -२ 

- धन्यवाद -

PS: written on my iPhone; please embrace the typos











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